THE BEST SIDE OF SIDH KUNJIKA

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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः

न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः

क्लींकारी काल-रूपिण्यै, बीजरूपे नमोऽस्तु ते।।

aiṃ hrīṃ klīṃ chāmuṇḍāyai vichchē jvala haṃ saṃ laṃ kṣaṃ phaṭ svāhā ॥ five ॥

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः

मम सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।

अगर किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कर रहे हैं तो हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर जितने पाठ एक दिन get more info में कर सकते हैं उसका संकल्प लें.

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।

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